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दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध संगीतकार जागर सम्राट श्री प्रीतम भरतवाण जी के जीवन के बारे में, दोस्तों आज वह जिस भी ऊंचाई पर वह है वहां तक पहुंचने के लिए इन्होंने काफी संघर्ष और मेहनत की तभी जाकर उन्होंने आज यह मुकाम हासिल किया । दोस्तों आपको बता दें कि हाल में कुछ समय पहले 2019 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पदम श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है जो कि किसी भी व्यक्ति के लिए काफी बड़ी उपलब्धि होती है। उन्हें यह सम्मान अपनी संस्कृति और परंपरा को बढ़ाने के लिए दिया गया ।
शुरुआती जीवनकाल -pritam bhartwan biography
दोस्तों प्रीतम भरतवाण जी के शुरुआती जीवन के बारे में बात करें तो उनका जन्म देहरादून के रायपुर ब्लॉक के सिला गांव में हुआ था। इन्होंने 13 वर्ष की उम्र से ही अपने संगीत जीवन की शुरुआत चाचा और पिता के साथ जागर सीख कर की थी। जागर उत्तराखंड की एक पवित्र और प्राचीन परंपरा है जिसे आमतौर पर देवी या देवता को खुश करने के लिए गाया जाता है या कुछ समय के लिए मानव और पूर्वजों के रूप में प्रकृति की पूजा की जाती है। प्रीतम भरतवाण जी स्थानीय लोक गायक के संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में जगरिया कहा जाता है।
प्रीतम भरतवाण जी का संगीत जीवन -
दोस्तों बात करें इनके संगीत जीवन की तो संगीत इनको विरासत में ही मिला है प्रीतम भरतवाण जी उत्तराखंड के ओजी समुदाय से बिलॉन्ग करते हैं जिन्हें ढोल दमोह जागर के बारे में संपूर्ण ज्ञान होता है। इनके दादाजी और चाचा बहुत जाने-माने जगरिया थे प्रीतम भरतवाण जी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है कि उन्होंने यह संगीत जागर की कला अपने पिता और चाचा से ही सीखी है वह अपने पिता और चाचा को ही अपने गुरु मानते हैं। दोस्तों आपको बता दें की प्रीतम भरतवाण जी अच्छे ढोल दमोह वादक के साथ एक अच्छे लेखक भी हैं। वह बताते हैं कि बचपन में वह अपने पिता और चाचा के साथ उत्तराखंड के त्योहारों पर जागर लगाया करते थे। 1988 में उन्होंने आकाशवाणी के माध्यम से अपनी कला और प्रतिभा को लोगों के सामने प्रदर्शित किया था इसके बाद 1995 में इन्होंने रामा कैसेट के साथ " तोंसा बाऊ " नाम से एक कैसेट निकाली। जिसे लोगों ने काफी प्यार और प्रोत्साहन दिया। उन्हें लोगों का सबसे ज्यादा प्यार उनके गीत " सरोली मेरे जिया लगी गे "और "गुट गुट बडोली लागे छे" से मिली। दोस्तों बता दे आपको कि इन्होंने अभी तक 1000 से भी ज्यादा गाने गाये हैं। जिन्हें लोगों ने खूब प्यार दिया। प्रीतम भरतवाण जी उत्तराखंड में ही प्रसिद्ध नहीं है वह पूरे देश और विदेशों में भी प्रसिद्ध है वहां समय-समय पर बाहर देशों से भी उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों में बुलाया जाता है। अभी तक वह काफी देशों अमेरिका ,जापान ,न्यूजीलैंड ,दुबई ,इंग्लैंड जैसे कई देशों में अपनी प्रतिभा और कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। वह अभी जागर और ढोल दमोह को संरक्षित करने की क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
विदेशों में अपनी कला का प्रदर्सन करते हुए प्रीतम भरतवाण जी |
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