dobra chanti suspension bridge in hindi ,dobra chanti pul tehri garhwal,

 दोस्तों स्वागत है आपका myuk-uttrakhand.com में।

दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपको जानकारी देंगे हाल ही में बन‌ कर तैयार हुआ भारत का सबसे लंबा मोटर् झूला पुल के बारे में , डोबरा चांठी पुल टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड। 9 नवंबर 2020 को राज्य जन्मदिन के उपलक्ष में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा डोबरा चांठी पुल को जनता के लिए खोल किया गया। यह पुल भारत का सबसे लंबा झूला वाहन पुल है यह उत्तराखंड राज्य के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। दोस्तों इसकी सिर्फ इतनी ही कहानी नहीं है इस पुल ने इसकी मांग से लेकर इसके निर्माण कार्य पूर्ण होने तक एक बहुत लंबा समय तय किया है। इसका पूरा एक बहुत बड़ा इतिहास चुका है। 


dobra chanti pul


इतिहास (history of dobra chanti pul tehri garhwal)- 

वर्ष 2006 टिहरी डैम परियोजना का कार्य पूरा हुआ। डैम निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सबसे बड़ी समस्या थी डैम प्रभावित सैकड़ों गांव और लाखों लोगों को विस्थापित करने की और भागीरथी और भिलंगना नदी के आर पार स्थित एक बहुत बड़ी आबादी की आवाजाही की, वर्ष 2001 उत्तराखंड सरकार ने पीपल डाली और सियासु में दो हल्का वाहन पुल बनाने का निर्णय लिया। पिपलडाली में 390 लम्बा  और 3 मीटर चौड़ी के हल्के वाहन पुल का निर्माण शुरू किया जो वर्ष 2005 में पूरा हुआ और सियासु के पास 375 मीटर लम्बा और 3 मीटर चौड़ाई वाला झूला वाहन पुल का निर्माण 2006 में टीएचडीसी द्वारा सफलतापूर्वक  किया गया। 29 अक्टूबर 2005 को अंतिम डायवर्जन टनल को बंद हो जाने के बाद 16 जनवरी 2006 को भल्डियाना पुल बंद कर दिया गया जिसके बाद प्रताप नगर और धार मंडल के लोग पीपल डाली और सियासु पुल पर  निर्भर हो गए और भारी वाहन की आवाजाही के लिए घनसाली और धरांसु पुल मजबूरी बन गया। भल्डियाना पुल के टिहरी डैम में डूबने से ऋषिकेश से प्रताप नगर और लंबगांव की दूरी में जमीन आसमान का अंतर आ गया। लोगों को आवाजाही करने में एक लंबी दूरी तय करना पढ़ रहा था। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने डोबरा चांटी पुल बनाने का निर्णय लिया। डोबरा चांटी  पुल का निर्माण प्रताप नगर की जनता के लिए एक राहत भरा कार्य था। डोबरा चांटी पुल का बनना प्रताप नगर के इलाके के लिए किसी राहत से कम नहीं था। डोबरा चांटी पुल बन जाने के बाद भारी वाहनों से ऋषिकेश से लंबगांव की दूरी 232 किलोमीटर से घटकर 114 किलोमीटर ऋषिकेश से प्रताप नगर की दूरी 211 किलोमीटर से घटकर 135 किलोमीटर है जिला मुख्यालय नई टिहरी से लंबगांव की दूरी 144 किलोमीटर से घटकर 55 किलोमीटर, प्रताप नगर की दूरी डेढ़ सौ किलोमीटर के स्थान पर 68 किलोमीटर ही रह जाएगी। 10 नवंबर 2005 में पहली बार डोबरा चांठी पुल की परिकल्पना उत्तराखंड सरकार के सामने आई इस प्रोजेक्ट पर तुरंत काम शुरू कर दिया गया प्रताप नगर इलाके को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए डोबरा चांटी पुल का निर्माण पूरे इलाके के लिए किसी सपने की तरह था।और इस सपने को साकार करने के लिए सरकार ने आईआईटी रुड़की को टेक्निकल परीक्षण और डिजाइन के लिए अनुरोध किया।आईआईटी रुड़की की टीम ने दोबरा के पास एक जगह को चिन्हित किया डिजाइन के मुताबिक ऑफ क्वांटिटी विभाग को आगणन के लिए उपलब्ध कराया गया। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की टीम ने 5 मीटर और 2.75 मीटर के बाद के लिए और भारी वाहन की लोडिंग के लिए झूला पुल के निर्माण का प्रस्ताव रखा जिसकी अनुमानित लागत 90 करोड आंकी गयी।  22 मार्च 2006 को मुख्य सचिव उत्तराखंड ने बैठक कर रुड़की के संभावित खर्च के आकलन पर 17 अप्रैल 2006 को 89.20 करोड़ की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति दे दी.   28 अप्रैल 2006 को एक कॉन्ट्रैक्ट भी साइन किया गया है समय कम  और लक्ष्य बड़ा पल का टेक्निकल डिजाइन और निर्माण सभी साथ साथ चल रहे थे। पल की खुदाई के दौरान डिजाइन में टेक्निकल दिक्क्त आने की  वजह से डिजाइन को दोबारा बदलना जरूरी हो गया तो प्रोजेक्ट में लगने वाली लागत भी बढ़ गई इसलिए दोबारा 8 दिसंबर 2008 को उत्तराखंड सरकार ने 128.53 करोड रुपए की स्वीकृति दे दी लेकिन 2010 उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा ने प्रोजेक्ट के काम पर एक बार फिर अर्चन लगा दिया टिहरी जलाशय में पानी भर जाने के कारण पुल पर खतरा मंडराने लगा है। सरकार प्रोजेक्ट को लेकर कोई भी समझौता नहीं करना चाहती थी इसलिए आईआईटी रुड़की और पुनर्वास निदेशालय के अधिकारियों ने 24 दिसंबर 2010 को बैठक कर उनकी डिजाइन चेकिंग के काम को किसी दूसरे संस्था से चेक कराने पर सहमति जताई। आईआईटी रुड़की ने प्रोजेक्ट के कामो की ड्राइंग पेश किया।15 नवंबर 2013 कोसचिव पीडब्ल्यूडी बाकी बचे हुए कामों को पूरा करने के लिए इंटरनेशनल कंसलटिंग के लिए निविदा जारी की गई विदेशी कंपनियों के 8 निविदाएं आई जिसमें योशिक इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन कोरिया और वीके एसएन इन्फोटेक मैनेजमेंट नई दिल्ली संयुक्त प्रस्ताव आया। आखिरकार योशिक इंजीनियरिंग कोरिया के हवाले यह प्रोजेक्ट दिया गया।  5 नवंबर 2014 से शुरू हुआ पुल का प्रोजेक्ट के लिए 14 फरवरी 2017 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया डोबरा चांटी  मोटर झूला पुल की कामयाबी के लिए कई मांगों पर खरा उतरना भी जरूरी था कोरियन कंसल्टेंसी कंपनी भी किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती थी लोक निर्माण विभाग को इन कंपनियों से हर छोटी बड़ी बात करना चाहता था ताकि डोबरा चांठी पुल की डिजाइन में  नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाय जो सभी मानकों पर खरी उतरे। प्रोजेक्ट का कार्य जोरो सोरो से चलता रहा फिर भी तय की गयी समय सीमा पर पुल का निर्माण पूरा नहीं हो सका। प्रताप नगर के आसपास के इलाके के हजारों लाखों लोगों का सपना था जिसके पूरा होने की आस बरसों से देख रहे थे वो आखिर कर वर्ष 2020 में पूरा  हुआ। 


dobra chanti bridge images



dobra chanti bridge night view



dobra chanti pul tehri garhwal,

14 वर्षों का एक लंबा समय तय करने के बाद फाइनली दोस्तों 9 नवंबर 2020 को डोबरा चांटी  पुल का उद्घाटन समारोह किया गया। जनता और वाहनों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोल दिया गया। सरकार की एक बहुत बड़ी धनराशि इस पुल को बनाने में लगी है और एक बहुत लंबा वक्त। दोस्तों पर्यटकों को आकर्षित करने  के लिए इस पुल का खास डिजाइन किया गया है इसमें लाइटिंग द्वारा इसे सजाया गया है जो रात में बहुत खूबसूरत लगता है।

dobra chanti bridge images


dobra chanti bridge images

dobra chanti bridge images

dobra chanti bridge images

dobra chanti bridge images

dobra chanti bridge images

dobra chanti bridge images

dobra chanti bridge images

dobra chanti bridge images