उत्तराखंड के मशहूर संगीतकार गजेंद्र सिंह राणा का जीवन परिचय 

युवा दिलों की धड़कन गजेंद्र सिंह राणा , दोस्तों अगर आप उत्तराखंड से हो तो नाम तो सुना ही होगा। आज हम उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध संगीत कलाकार गजेंद्र सिंह राणा जी के जीवन के बारे में कुछ जानकारी आप लोगों के साथ शेयर करेंगे जो शायद आप लोग नहीं जानते होंगे। दोस्तों अगर आप भी गजेंद्र सिंह राणा के गढ़वाली गीतों के फैन है तो आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें इस आर्टिकल में हमने उनके संपूर्ण जीवन का परिचय आपके साथ कराया है।

folk singer Gajendra rana


गजेंद्र राणा जी का जन्म दिन और जन्म स्थान -

गजेंद्र राणा जी का जन्म 8 जुलाई 1988 को दिल्ली मैं हुआ था लेकिन वैसे गजेंद्र राणा जी उत्तराखंड के रहने वाले हैं उनके गांव का नाम नांगणी  है जो चंबा टिहरी गढ़वाल में पड़ता है।

प्रारंभिक का जीवन और शिक्षा ,घर परिवार -

गजेंद्र राणा जी ने पांचवी कक्षा तक पढ़ाई अपने गांव के ही स्कूल से प्राप्त की। उस समय उनके पिता दिल्ली में नौकरी करते थे। उसके बाद गजेंद्र राणा जी अच्छी पढ़ाई के लिए दिल्ली अपने पिता के साथ चले गए। दिल्ली से ही इन्होंने हाई स्कूल तथा इंटर तक की पढ़ाई पूरी की।
गजेंद्र राणा जी पांच भाई बहन है सबसे बड़ा इनका भाई है उसके बाद तीन बहने तथा सबसे छोटे गजेंद्र राणा जी हैं। अभी उनका भाई और परिवार गांव में रहते हैं । वह देहरादून अपनी वाइफ और बच्चों के साथ रहते है। 

संगीत जीवन की शुरुआत -

गजेंद्र राणा जी को बचपन से ही गाना गाने का बहुत शौक था वहां हमेशा स्कूल कॉलेजों में होने वाले कार्यक्रमों में हमेशा गाना कार्य करते थे एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया है की जब वह दिल्ली में थे तब वो वहां अपने स्कूल में गढ़वाली गाने गाया करते थे। गजेंद्र राणा जी ने पेशेवर तौर पर गाना गाना सन 1998 से शुरू किया उन्होंने अपनी पहली एल्बम "मेरो गांव कू बाटू " उसके बाद उन्होंने दो एल्बम" तेरी द्वी आंखों मा " और  "याद तेरा गों की " निकाली। उसके बाद इन्होने बहुत अच्छे -अच्छे अल्बम और गढ़वाली गाने गाये। 

जीवन संघर्ष -

गजेंद्र राणा जी का बचपन ज्यादा अच्छा नहीं रहा। कक्षा पांचवी गांव के स्कूल से करने के बाद वो पढ़ाई के लिए अपने पापा के साथ दिल्ली चले गए। दिल्ली में वहां अपने पिता और बड़े भाई के साथ रहते थे। उस समय वह एक किराए के रूम पर रहा करते थे। वहाँ उन्हें पढ़ाई के साथ साथ ,सबके लिए खाना बनाना और रूम का सारा काम करना पड़ता था। उनके पिता दिल्ली में डालमिया नामक कंपनी में काम करते थे। 
गजेंद्र राणा जी पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे इसलिए वह हमेशा अपने फ्यूचर के लिए चिंतित रहते थे लेकिन भगवान की कृपा से वहां संगीत के क्षेत्र में आ गए। जब इन्होने संगीत जीवन की शुरुआत की तब शुरुआती कुछ एल्बम इनकी ज्यादा कुछ खास अच्छी नहीं रही और ना ही मार्केट में ज़्यदा चल पायी। इस कारण से वह कुछ टाइम के लिए डिप्रेशन तथा हॉपलेस हो गए थे एक समय था कि वह संगीत क्षेत्र छोड़ने की सोच रहे थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी कहते हैं ना दोस्तों भगवान उनका जरूर साथ देता है जो कड़ी मेहनत करते हैं। उसके बाद उन्होंने एक एल्बम और निकाली जिसका नाम था "लीला घस्यारी " और यह एल्बम सुपरहिट रही। उसके बाद इन्होंने जितने भी एल्बम निकाली सभी लगभग सुपरहिट रही। 

गजेंद्र राणा की कुछ सुपरहिट अल्बम और गाने -

लीला घस्यारी ,बबली तेरु मोबाईल ,गबरू दीदा ,पुष्पा छोरी ,राणी गोरख्याणी ,बांध भानुमति ,फुर्की बांध ,छकना बांध ,छोरी 420 ,और बहुत सारी अल्बम हैं जो इनकी सुपरहिट रही।